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हज़रत मौलाना सय्यद जहांगीर शाह साहब बुख़ारी

हज़रत मुफ्ती ए आज़म कच्छ के छोटे भाई लिखते हैं :

24 शाबान 1419 हि. (14 दिसंबर 1998 ई.) को अल्लाह तआला का शुक्र है के इस नाचीज़ को जामिआ सिद्दीक़ीया को देखने का अवसर मिला।
यह हज़रत क़िब्ला की दिन-रात की मेहनतों और कोशिशों का फल है कि 125 विद्यार्थी खाने-पीने की व्यवस्था के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अल्लाह तआला इस जामिआ को क़यामत तक जारी व सारी रखे और समस्त मुश्किलों को आसान फ़रमाए। आमीन

अल्हम्दुलिल्लाह 22 शाबान 1423 हि. में जामिआ सिद्दीक़ीया के वार्षिक परीक्षा और वार्षिक उत्सव में शामिल होने का मौका मिला विद्यार्थीगण की योग्यता और शिक्षा के प्रति रूची देखकर प्रभावित हुआ और रहन-सहन की उत्तम व्यवस्था की गई है, और अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है। हज़रत पीर सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह जीलानी की ज़ाति कोशिश और दूर अंदेशी का यह फल है ।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त और ज़्यादा तरक्की अता फरमाए और दुनिया व आखिरत की भलाईयों से नवाज़े। आमीन

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