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हज़रत सय्यद हसन शाह इस्माईल शाह बुख़ारी

लिखते हैं:

अल्हम्दुलिल्ला,बहमदा तआला अल्लाह-तआला के फ़ज़ल विक्रम से आज बतारीख़24शाबान अलमाज़म1419ह 14दिसंबर1998बरोज़ पीर को सौ जा शरीफ़ के दार-उल-उलूम फ़ैज़ सदीकीह के वार्षिक जनसभाएंकी हाज़िरी का शरफ़ नसीब हुआ ,इदारा हज़ाके तलबा की तिलावत ,नाअत शरीफ़ ,सवालात और तक़रीर वग़ैरा सुनकर बेहद मुसर्रत हुई बारी तआला रसूल मुअज़्ज़म के तुफ़ैल ओरग़ोस आज़म के सदक़े तासुबह क़ियामत दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी अता फ़रमाए ,और नूरानी ,रुहानी फ़्यूज़ वबरकात को ताक़यामत बाग़ वबहाररखे,ये सुनी इदारा सूजा शरीफ़ की बंजर ज़मीन में थोड़े अरसा में उरूज पा गया ये हज़रत पीर साहिब अल्हाज सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह बावा की मेहनत तोहे ,नुसरत ख़ुदावंदी रहमत ख़ुदावंदी तोहे ही लेकिन मेरा दिल यक़ीन के साथ इक़रार करता है कि पैर साहिब ख़िदमत कर रहे हैं हक़ीक़त में ख़ुदादाद ताक़त है वर्ना इस अज़ीमुश्शान इदारा को उरूज पर लाना ये हराईक आदमी का काम नहीं ख़ुदा अज़्ज़-ओ-जल हज़रत पीर साहिब को मज़ीद इख़लास वामल अता फ़रमाए और आने वाले मसाइब को रहमत आलमﷺके वसीले दूर फ़रमाए और ग़ैबी मदद फ़रमाए ।आमीन सुम्मा आमीन

हक़ीर फ़क़ीर अलाबदालमज़नब सय्यद हसन शाह इस्माईल शाह बुख़ारी हनफ़ी एफी अन्ना24शाबान अलमाज़म1419ह 14दिसंबर1998

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