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समाज सुधारक काठियावाड़ के चिराग़ हज़रत पीर सय्यद मोहम्मद ग़ुलाम अली साहब क़ादरी (उपनाम) दादा बापू सांवर कुंडला (गुजरात)

लिखते हैं :

अल्हम्दुलिल्लाह जामिआ सिद्दीक़ीया में आज आने का अवसर मिला राजस्थान के जंगलात में यह दीन का लहलाता बगीचा देखा। अल्लाह का शुक्र है कि यहां आने की खुशकिस्मती मिली हज़रत अल्लामा अल्हाज पीर सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह जीलानी साहब को अल्लाह तआला ने अपने दीन के लिए पसंद फ़रमाया है। यही दिल कर रहा है वरना यहां धर्म के कार्य और दुनियावी शिक्षा की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। यहां आकर इतना ही सोचा कि तूफान में चिराग़ रोशन किया है अल्लाह तआला इस चिराग़ को अत्यधिक समय तक बरकरार रखे। आमीन



सय्यद मोहम्मद ग़ुलाम अली क़ादरी (उपनाम) दादा बापू सांवर कुंडला गुजरात 3/8/2006

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