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मज़हर मुफ़्तिए अ़ाज़म हिन्द ह़ज़रत अ़ल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद तहसीन रज़ा रज़वी बरकाती

(म:1428 हिजरी शैख़ुलह़दीस जामिअ़ा नूरिया रज़विया बरेली शरीफ़ लिखते हैं:

आज बतारीख़ 19 श़बानुलमुअ़ज़़ाम 1425 हिजरी 15 अक्तूबर 2004 को दारुल उ़लूम फ़ैज़ सि़द्दीक़िया के सालाना जलसा दस्तार फ़ज़ीलत में ह़ाज़िरी का शर्फ़ ह़ासि़ल हुआ,जैसा सुना था वैसा ही पाया यह दारुल उ़लूम जाए वकूअ़् के लिहाज़ से जंगल में मंगल का स़ह़ी मिस़्दाक़ है, त़लबा मुहज़्ज़ाब,तर बैत याफ़्ता मअ़्लूम हुए,यह सब ह़ज़रत बा बरकत अ़ल्लामा सय्यद ग़ाउलाम हुसैन शाह स़ाह़ब जीलानी के फ़ैज़ और उन की तवज्जोह ख़ास़ का समरा है,मौला करीम इस दारुल उ़लूम को दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी अ़त़ा फ़रमाए और उस के मुदर्रिसीन व मुअ़ावेनीन को जज़ाए ख़ैर और अज्रे जज़ील मरहम्मत फ़रमाए आमीन

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