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हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मोहम्मद अयूब रिज़वी

(सदर इलिमद रसियन जा मआ इस्लामीया रोना ही फ़ैज़ आबाद यूपी) फरमाते हैं:

20 शअ़्बान 1436 हिजरी बरोज़ मंगल दारुल उ़लूम फ़ैज़ सि़द्दीक़ी ह़ज़रत अ़ल्लामा सय्यद शाह ग़ुलाम हुसैन स़ाह़ब क़िब्ला मद्दे फ़ैज़ा की दअ़्वत पर ह़ाज़िरी हुई,सालो से इदारा के तअ़ल्लुक़ से सुनता रहा कि छप्परों में एक ख़ूबसूरत इदारा दीन व सुन्नियत का सि़र्फ़ काम नहीं कर रहा है बल्कि उ़लमा व फ़ुज़्ला व हुफ़्फ़ाज़ व कुर्रा की बेहतरीन तअ़्लीम दी जा रही है। आज देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं और दिल ने कहा कि कुछ नहीं यह सि़र्फ़ बानी इदारा की काविश व करामत है यक़ीनन यह उन की दीनदारी और अख़लास़ का नतीजा है।

दुअ़ा है कि मौला तअ़ाला उस इदारा को दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी अ़त़ा फ़रमाए और बानी इदारा को स़ेहत व सलामती के साथ क़ाइम रखे ताकि दीन का यह क़िलअ़ा हमेशा इस्लाम व सुन्नियत का काम करता रहे। आमीन

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