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मूनाज़िरे अहले सुन्नत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मोहम्मद मूतीउ़रहमान मज़हर रज़वी

किशनगंज (बिहार) लिखते हैं :

20 शाबान 1436 हि. सन् 7 जून 2015 ई. मंगलवार को जामिआ सिद्दीकी़या मैं उपस्थित हुआ तो जामिआ को देख कर आश्चर्य भी हुआ और प्रसन्न भी हुआ, आश्चर्य इस बात का है कि इस रेगिस्तान और बंजर भूमि में ऐसा शानदार जामिआ जो देखने वाले को अचंभित कर दे। और प्रसन्नता इस बात की है कि जमाते अहले सुन्नत को जिस प्रकार की केन्द्रीय संस्था की आवश्यकता थी उस को पीरे तरीक़त हज़रत मौलाना सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह जीलानी ने पूर्ण कर दिया है।
अल्लाह तआ़ला हज़रत पीर सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह जीलानी को दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी अता फरमाए। आमीन

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