18 शाबान 1421 हि. सन् 15 नवंबर 2000 ई. बुधवार को मुफ़्ती कु़दरतुल्लाह साहब जम्दा-शाही के संग उपस्थित हुआ।
उच्च व्यक्तित्व के धणी पीर सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह जीलानी नक्शबंदी ने इस रेगिस्तानी क्षेत्र में मज़हबी शिक्षा का ऐसा चमन खिला दिया है कि हर देखने वाला व्यक्ति सुब्हान अल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह कहता हुआ दिखाई देता है।
विद्यार्थियों में मज़हबी शिक्षा का उत्साह व इस्लामी अनुशासन एवं संस्कृति और अध्यापकों की अधिक लग्न एवं प्रयत्न है ही और हज़रत पीर साहब क़िब्ला के दिन-रात के अथक प्रयासों का यह परिणाम है कि जामिआ सिद्दीक़ीया का कार्य नियमानुसार चल रहा है।
पीर सय्यद क़ुत्बे आलम शाह साहब जीलानी का यह दर्शनीय करिश्मा है कि जामिआ दिन दुगुनी रात चौगुनी विकास एवं उन्नति कर रहा है व शिक्षा, शिक्षण-प्रशिक्षण, शिष्टाचार व निर्माण कार्य, यह समस्त कार्य प्रशंसा के योग्य हैं इस जंगल में यह जो शिक्षा का चमन महक रहा है यह आने वाली पीढ़ियों को महकाता रहेगा।
अल्लाह तआला अहले सुन्नत के दिलों में इस जामिआ के प्रति सप्रेम और सहयोग का उत्साह पैदा करे।
भामाशाहों, शिक्षकों एवं उच्च वर्गीय मानवों को हाथ जोड़कर में विनती करूंगा कि आप जामिआ सिद्दीक़ीया का दिल खोलकर सहयोग करें और दुनिया व आखिरत की अधिक से अधिक भलाइयां प्राप्त करें। आमीन
छात्र
कर्मचारी
सफलता के वर्ष
पूर्व छात्रों