12 रबीउ़ल-अव्वल 1432 हि. सन् 16 फ़रवरी 2011 ई. को पीरे तरीक़त रहबरे शरीअत हज़रत अल्लामा
सय्यद ग़ुलाम हुसैन शाह जीलानी के आदेश पर मित्र हज़रत मौलाना मोहम्मद सिद्दीक़ साहब
सिद्दीक़ी कांडला वालों के साथ जामिआ सिद्दीक़ीया में उपस्थित हुआ, दर्शनीय दृश्य देख कर मन
अधिक प्रसन्न हो गया, वास्तव में पीर साहब क़िब्ला के अत्यंत प्रयासों एवं सच्ची लग्नों ने
जंगल को मंगल बना दिया है, ऊंची बिल्डिंग, सुहाना दृश्य, दर्शनीय मठ, प्रख्यात अध्यापक,
शिक्षित व संस्कारी विधार्थी, यह सब पीर साहब का करिश्मा एवं मूंह बोलती प्रशंसा है, सभी
अपने कार्य निःस्वार्थ सेवा व अत्यंत प्रयास हर समय लग्न के साथ अपने कर्तव्यों को निभाने
में व्यस्त हैं।
हाथ जोड़ कर अल्लाह से विनती करता हूं कि अल्लाह तआला पीर साहब क़िब्ला और उन के सहयोगी
मित्र अध्यापकों व विधार्थियों को दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी अता फरमाए। आमीन
छात्र
कर्मचारी
सफलता के वर्ष
पूर्व छात्रों